Rajasthan Gk- Desert of Rajasthan GK facts

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राजस्थान का सामान्य ज्ञान: थार का मरूस्थल

➤  थार का मरूस्थल भारत का एकमात्र मरूस्थल है जो दक्षिण पश्चिम हवाओं से बना है।

➤  इसका फैलाव राजस्थान के पश्चिम में पाकिस्तान की सीमा से लेकर मध्य राजस्थान में अरावली तक है। अरावली श्रेणी के पश्चिम और उत्तर पश्चिम में यह क्षेत्र विस्तृत है।

➤  राजस्थान के 12 जिलों में लगभग 61 प्रतिशत भाग पर यह फैला हुआ है।

➤  इस क्षेत्र में राजस्थान की कुल जनसंख्या  का लगभग 70 प्रतिशत हिस्‍सा निवास करता है।

➤  इस मरूस्थल की ढाल पश्चिम में पाकिस्तान की ओर स्थित है।

➤  थार का मरूस्थल विश्व के सभी मरूस्थलों की तुलना में अधिक जनसंख्या घनत्व,  पशु घनत्व व वर्षा वाला क्षेत्र है।

➤  बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चूरू एवं पश्चिमी नागौर क्षेत्र को भारतीय महा मरूस्थल कहा जाता है।

➤  इस क्षेत्र में पाये जाने वाले मिट्टी एवं रेत के टीले बालूका स्तूप या धोरे कहे जाते हैं।

➤  अरावली के पश्चिमी किनारे से रेतील शुष्क मैदान तक की सीमा तक शुष्क क्षेत्र राजस्थान बांगड़ कहलाता है, इसमें सीकर, झुंझूनूं और नागौर के क्षेत्र आते हैं।

➤  इस क्षेत्र की मरूस्थलीय वनस्पति में पाई जाने वाली विशेषतायें हैं- कम लंबाई, छोटी एवं मोटी पत्तियां, छोटा तना और गहरी जड़ें।

➤  इस क्षेत्र में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष पीलू, रोहिड़ा एवं खेजड़ी है।

➤  रोहिड़े का फूल राजस्थान का राजकीय पुष्प है और खेजड़ी का वृक्ष राजस्थान का राष्ट्रीय वृक्ष है।

➤  इस क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रमुख झाडियां कैर, आक, थोर, लाणा, फोग और आरणा है.

➤  सेवण, धामण व करण इस क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रमुख घास हैं।

➤  इस मरूस्थलीय क्षेत्र में अ‍धिकांश भूमिगत जल खारा है। इस क्षेत्र में उच्च तम तापमान 48 डिग्री सेंटीग्रेट तक व न्यूनतम तापमान – 3 डिग्री तक चला जाता है।

➤  इस क्षेत्र की एकमात्र नदी लूणी है। अरावली के पश्चिम में बहने वाली भी यही एकमात्र नदी है।

➤  बाजरा, मूंग, मोठ इस क्षेत्र में उगाई जाने वाली प्रमुख फसले हैं।

➤  राठी और थारपारकर गाय तथा भेड़ और बकरी यहां का प्रमुख पशुधन है।

➤  इस क्षेत्र में टंगस्टन, चूना पत्थर, जिप्सम, रॉक फॉस्फेट खनिज प्रमुखता से पाये जाते हैं।

➤  बाड़मेर, जालौर और जैसलमेर में परित्य्क्त शिलायें सतह पर अनावृत हैं।

➤  बरखान अथवा अर्द्धचंद्राकार बालूका स्तूमप मरूस्थली के उत्तरी भाग में पाये जाते हैं।

➤  इस क्षेत्र में घग्घर नदी के पाट को नाली कहा जाता है, घग्घर नदी को वैदिक साहित्य में सरस्वती नदी भी कहा जाता है।

➤  25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा राज्य के मरूस्थल को शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क  के बीच में बांटती है।

➤  जैसलमेर में एक जलपट्टी स्थित है जो सरस्वती नदी का भूगार्भिक अवशेष है, इसे लाठी सीरीज कहा जाता है।   

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