राजस्थान के इतिहास के परीक्षापयोगी बिन्दु (भाग-7)
राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश
गुहिल-सिसोदिया वंश
- चौहानों की केन्द्रीय शक्ति के हृास के बाद राजपुताने में गुहिल—सिसोदिया वंश का उद्भव हुआ।
- गुहिल वंश में इस समय जैत्रसिंह का शासन था।
- मेवाड़ के गुहिल शासक रत्नसिंह (1302-03) के समय चित्तौड़ पर दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया था।
- अलाउद्दीन के इस आक्रमण और पद्मिनी की कथा का उल्लेख मलिक मुहम्मद जायसी के ‘पद्मावत’ नामक ग्रंथ में मिलता है।
- अलाउद्दीन के आक्रमण के दौरान रत्नसिंह और गोरा-बादल वीर गति प्राप्त हुये तथा पद्मिनी ने 1600 स्त्रियों के साथ जौहर कर आत्मोत्सर्ग किया।
- इसी समय अलाउद्दीन ने चित्तौड़ जीतकर उसका नाम खिज्राबाद कर दिया था।
- राजपूतों का यह बलिदान चित्तौड़ के प्रथम साके के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें गोरा-बादल की वीरता एक अमर कहानी बन गयी।
- रत्नसिंह के पश्चात् सिसोदिया के सरदार हम्मीर ने मेवाड़ को दयनीय स्थिति से उभारा। वह राणा शाखा का राजपूत था।
- राणा लाखा (1382-1421) के समय उदयपुर की पिछोला झील का बांध बनवाया गया था। लाखा के निर्माण कार्य मेवाड़ की आर्थिक स्थिति तथा सम्पन्नता को बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध हुए।
- लाखा के पुत्र मोकल ने मेवाड़ को बौद्धिक तथा कलात्मक प्रवृत्तियों का केन्द्र बनाया।
- उसने चित्तौड़ के समिधेश्वर (त्रिभुवननारायण मंदिर) मंदिर के जीर्णोद्धार द्वारा पूर्व मध्यकालीन तक्षण कला के नमूने को जीवित रखा।
- उसने एकलिंगजी के मंदिर के चारों ओर परकोटा बनवाकर, उस मंदिर की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की।
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