Historical Places of Ajmer: Pushkar

तीर्थराज पुष्कर

तीर्थराज पुष्कर अजमेर नगर के उत्तर पश्चिम में 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मार्ग में सुरम्य घाटी है जो ‘पुष्कर घाटी’ के नाम से विख्यात है। यह तीर्थ समुद्री तल से 530 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
भारत में ब्रह्मा का एकमात्र एवं प्राचीनतम मंदिर यदि कहीं है तो पुष्कर में ही है। भारतीय धर्मशास्त्रों में 5 प्रमुख तीर्थ सर्वाधिक पवित्र माने गए हैं जिनमें पुष्कर मुख्य है। अन्य चार ती​र्थों में कुरूक्षेत्र, गया, गंगा और प्रयाग हैं।

पुष्कर झील

अर्ध चंद्राकार में फैली इस झील में बावन घाट हैं। उनमें वराह, ब्रह्मा और गौ घाट सर्वाधिक पवित्र माने जाते हैं। पौराणिक काल में गौ घाट को ही सर्वाधिक महत्व मिला हुआ था। कहा जाता है कि ईसा पश्चात 1809 में मराठा सरदारों ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यही वह स्थान है जहां गुरू गोविन्द सिंह ने संवत् 1762 में गुरूग्रंथ साहब का पाठ किया। सन् 1911 ईस्वी पश्चात अंग्रेजी शासन में महारानी मेरी जब पुष्कर देखने आई तो उसने यहां महिलाओं के लिए पृथक् से घाट का निर्माण कराया। इसी स्थान पर महात्मा गांधी की अस्थियां प्रवाहित की गईं, तब से इसे गांधी जी घाट भी कहा जाता है।

तीन पुष्कर

ज्येष्ठ, मध्यम और कनिष्ठ तीनों की पुष्कर धार्मिक दृष्टि से पवित्र माने जाते हैं। कनिष्ठ पुष्कर को बुद्ध पुष्कर भी कहते हैं। अधिकतर लोग ज्येष्ठ पुष्कर में ही स्नान व पूजा करना सर्वप्रथम पसंद करते हैं। इसके बाद हवन सामग्री अथवा नैवेद्य आदि अन्य झीलों में भी अर्पित करते हैं। बहुत से लोग झील की परिक्रमा करते हैं। कुछ लोग केवल कनिष्ठ अथवा बुद्ध पुष्कर झील में ही पूजा तथा नैवेद्य चढ़ाते हैं अथवा स्नान करते हैं।
रंगनाथजी का मंदिर
रंगनाथ जी का मंदिर दिव्य तथा आकर्षक है। यह भारतीय वास्तुशिल्प की आधुनिक शैली का उत्कृष्ट नमूना है। यह मंदिर भगवान विष्णु, लक्ष्मी तथा नृसिंह जी की मूर्तियों से मंडित है तथा 130 वर्ष पुराना है। इसमें श्याम वर्ण पाषाण से बनी रंगनाथ जी की प्रतिमा पूर्वमुखी स्थित है।

ब्रह्मा जी का मंदिर

पुष्कर मंदिरों की पवित्र नगरी है। यहां लगभग 400 मंदिर है। किन्तु मुख्य मंदिर ब्रह्मा जी का ही है। ब्रह्मा जी का मंदिर नगर में बीचों—बीय बना हुआ है जिसमें आदम कद की चर्तुमुखी ब्रह्मा की मूर्ति प्रतिष्ठित है। ब्रह्मा जी के इसी मंदिर में पातालेश्वर महादेव, पंचमुखी महादेव, नर्बदेश्वर महादेव, लक्ष्मीनारायण, गौरीशंकर, सूर्यनारायण, नारद, दत्तात्रेय, सप्तऋषि एवं नवग्रह के मंदिर थे।

बराह मंदिर

बराह मंदिर विष्णु के वराह अवतार की कथा से जुड़ा हुआ है। इस अवतार में वराह का रूप धारण करके विष्णु ने पृथ्वी को उठा लिया था किन्तु अभी जिस रूप में यह मंदिर हमारे सामने है वह 11वीं शताब्दी में निर्मित हुआ। इस मंदिर का निर्माण चौहान राजा अरणोजराज ने 1123—1150 ईस्वी में करवाया था तथा इसका जीर्णोद्धार महाराणा प्रताप के भाई सगर ने अकबर के शासनकाल में करवाया था।

पुष्कर का मेला

पुष्कर में प्रतिवर्ष कार्तिक सुदी एकादशी से पूर्णिमा तक अक्टूबर—नवम्बर माह में मेला भरता है। पुष्कर मेला विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम इस अवसर पर पर्यटन ग्राम जैसी व्यवस्था भी करता है। पुष्कर मेले में विशाल पशु मेला भी लगता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top